Gurugram History : जाने कैसे खाली खेतों में कैसे मिला हरियाणा का हीरा( गुरुग्राम) , गुरुग्राम साइबर सिटी

New Delhi: जिस गुडगांव को 7 साल पहले ही गुरुग्राम बनाया गया था आज वह दंगे की आग में चल रहा है। यह एक बेहतरीन खूबसूरत साइबर सिटी है, इस सिटी मे लड़ाई झगड़ों के कारण विकास में रुकावट आ गई हैं। गुडगांव के कई इलाकों से हिंसा सपोर्ट की खबर लगातार सामने आ रही है। माइक्रोसॉफ्ट गूगल जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों की ऊंची ऊंची इमारतें बड़े-बड़े मॉल्स थीम पार्क वाला यह सर आज हिंसा के कारण बिल्कुल थम सा गया है।

गुरुग्राम

हरियाणा के नूह में हुई हिंसा कुछ ही घंटों में गुडगांव तक पहुंच गई। इस शहर के बारे में कहना था कि इस शहर में कभी रात नहीं होती है परंतु कुछ ही समय में सभी ऑफिस कंपनियां फैक्ट्री मार्केट मॉल स्कूल कॉलेज को बंद कर दिया गया। गुड़गांव की रफ्तार अगर थम जाती है तो इससे सरकार को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। हरियाणा के लिए गुरुग्राम बहुत ही ज्यादा यह शहर 70 फ़ीसदी तक रेवन्यू जनरेट करता है। चलिए दोस्तों आज उसी गुड़गांव की कहानी जानते हैं।

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गुरुग्राम के तार महाभारत से जुड़े हुए हैं, गुरु को दिया था उपहार

दोस्तों आज के समय में यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि गुरुग्राम का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। धर्मराज युधिष्ठिर ने यह नगरी अपने गुरु द्रोणाचार्य को उपहार के तौर में दी थी। इस कारण इसका नाम गुरुग्राम रखा गया था मान्यता यह भी है कि गुरु द्रोण ने पांडवों को शिक्षा भी यहीं पर दी थी। इसी के साथ हम आपको बता दे महान गुरु भक्त एकलव्य का गुरुग्राम से गहरा संबंध है. गुरुग्राम ही वह जगह जा अर्जुन ने मछली की आंख में निशाना लगाया था.महाभारत के साथ-साथ कई राजवंशों से इसका संबंध है. राजपूत, यदुवंशी, मुगल और मराठों ने इस शहर पर शासन किया था.वर्ष 1830 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस शहर पर अपना नियंत्रण हासिल कर लिया था .इस शहर का नाम ब्रिटिश शासन के दौरान ही बदलकर गुडगांव किया गया था. 1858 में यह पंजाब प्रांत का हिस्सा बना दिया गया था. साल 1979 में 5 तहसीलों को जोड़कर आधुनिक गुड़गांव जिला बनाया गया था.

कैसे शुरू हुई गुरुग्राम के बसने की कहानी

दोस्तों आप भी अवश्य जाना चाहते होंगी गुरुग्राम के बसने की कहानी किस प्रकार प्रारंभ हुई. 1970 के आखिरी के दौर की बात है डीएलएफ के KP Singh ने गुड़गांव के भविष्य को भांप लिया था. उन्होंने इस बात का अनुमान लगा लिया था कि हरियाणा का भविष्य इसी शहर में बसा है. जब गुड़गांव में कुछ भी नहीं था उस समय के पी सिंह एक बड़ा दावा खेला और रिस्क उठाते हुए वहां निवेश करना शुरू किया. केपी सिंह ने कहा कि किसानों से बात करना शुरू किया किसानों को मनाने की उनकी कला काम कर गई और इसी के साथ शुरू हुआ एक विशाल शहर गुड़गांव वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने का काम.

नाम बदला, रूप बदला

साल 1980 में पांच तहसीलों को जोड़कर आधुनिक गुड़गांव जिला बनाया गया था. साल 2016 में एक बार फिर से हरियाणा की सरकार ने इस आधुनिक शहर का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया. अगर आप भी कभी गुरुग्राम के बारे में सोचते होंगे तो सबसे पहले आपके दिमाग में ऊंची इमारतें, बिजनेस हब, बड़े–बड़े मॉल सामने आते होंगे. ट्रेंडिंग रेस्टोरेंट्स आमदार मॉल आकर्षक नाइटक्लब सब की तस्वीरें आपके सामने आने लगती होंगी. परंतु हमेशा से यह शहर ऐसा नहीं था कभी इस शहर में केवल जंगल हुआ करता था. दिल्ली के सटे होने के बावजूद भी पब्लिक फंड के नाम पर यहां पर कुछ नहीं था. अगर आप आज इस गुडगांव को देख रहे हैं तो उस गुडगांव को बदलने का शहर केवल एक शख्स को जाता है. जिसका नाम DLF के मालिक KP Singh हैं.

फिर आया 1989 का वह दौर

केपी सिंह ने इस शहर को इतना आधुनिक बना लिया है कि उस दौर से पहले यहां पर सूरज ढलने के बाद लोग आने से भी डरा करते थे. रिक्शेवाले टैक्सी वाले और ऑटो ड्राइवर इस शहर में आने के लिए दुगना किराया मांगा करते थे. परंतु केबीसी में अंदाजा लगा लिया था कि दिल्ली की भीड़ भाड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर लोग यहां जरूर आएंगे.

केपी सिंह ने पहल की डीएलएफ के रेजिडेंशियल अपार्टमेंट ऑफिस स्पेस बनाना शुरू किया. DLF को देखते-देखते अब कई बिल्डर्स गुड़गांव तक पहुंचने लगे घर तो बन गए थे. लेकिन खरीदने और रहने वाला वहां जाने के लिए कोई भी नहीं था. केपी सिंह ने इस बात का अंदाजा लगा है कि अगर कंपनी वहां नहीं पहुंचेंगे तो लोग विवाह नहीं आएंगे. साल 1989 में उन्होंने जनरल इलेक्ट्रिक को भारत लाने का काम किया.भारत इलेक्ट्रिक ने गुड़गांव में पहला बीपीओ सेंटर खोला केपी सिंह ने गुड़गांव में जनरल इलेक्ट्रिक स्कोर ऑटो शॉपिंग्स कंपनियों के लिए अपना पायलट ऑफिस खोलने के लिए राजी किया. इसी के साथ गुड़गांव में कंपनियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ. कम किराया ओपन स्पेस पास में इंदिरा गांधी एयरपोर्ट राजधानी दिल्ली से कनेक्टिविटी ने कंपनियों को गुड़गांव की ओर आकर्षित किया.

K P Singh कोन है

आपने यह नाम अवश्य सुना होगा यह वह शख्स है. जिसने सुनसान वीरान पड़े खेतों को हरियाणा का हीरा बना दिया अगर केपी सिंह उसे वक्त वह रिस्क नहीं उठाते तो शायद आधुनिकता से भरा यह शहर नहीं बस पता. केपी सिंह ने इस शहर के भविष्य को तरस लिया और दिल्ली से सटे हरियाणा के खाली खेतों में एक नया प्रदेश यानी हरियाणा का हीरा बना डाला. साल 2020 में केपी सिंह ने डीएलएफ की चेयरमैन की कुर्सी को छोड़ दिया अब उनके बेटे उनका सारा काम संभालते हैं.

Hello friends, my name is Sunny Singh, I am working as an author on Haryana Update, before this I have worked as a writer on Khabar Express. I have provided all the information related to Haryana on Haryana Updates.

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