Bank Loan Recovery Rules : दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि केवल बैंक लोन डिफॉल्ट की वजह से किसी व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी नहीं किया जा सकता। यह निर्णय उन लाखों कर्जदारों के लिए बड़ी राहत है, जिन्हें अक्सर बिना किसी आपराधिक मुकदमे के कठोर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।

Bank Loan Recovery Rules क्या था मामला ?
एक गारंटर के खिलाफ बैंक ने LOC जारी किया था, जबकि वह न तो कर्ज का मूल उधारकर्ता था और न ही डिफॉल्ट के समय कंपनी में सक्रिय भूमिका में था। कोर्ट ने LOC को रद्द करते हुए कहा:
-
केवल लोन न चुका पाने को आपराधिक मंशा नहीं माना जा सकता।
-
अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार है — इसमें यात्रा करने की स्वतंत्रता भी शामिल है।
-
बैंक सिर्फ रिकवरी के लिए नागरिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।
Bank Loan Recovery Rules फैसले के प्रभाव:
-
कर्जदारों के अधिकार होंगे मजबूत
अब केवल वित्तीय संकट के कारण नागरिकों को आपराधिक आरोपी जैसा व्यवहार नहीं झेलना पड़ेगा। -
बैंकों की जवाबदेही तय होगी
बैंक और वित्तीय संस्थाओं को अब कानूनी सीमाओं का ध्यान रखते हुए ही रिकवरी करनी होगी। -
सुप्रीम कोर्ट में नज़ीर बन सकता है
यह फैसला भविष्य के मामलों में एक मिसाल बन सकता है।
निष्कर्ष:
यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और मानवीय दृष्टि से भी कर्जदारों के अधिकारों की रक्षा करता है। भारत जैसे देश में, जहां लाखों लोग वित्तीय कठिनाइयों से जूझते हैं, यह फैसला एक नई उम्मीद जगाता है।